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Showing posts from July, 2024

मित्रता

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मित्रता मित्रता हुन्छ त्यहाँ  निस्वार्थ भावना जहाँ! हरेक पाईलामा  आस्था जहाँ समस्या समाधानको  व्यवस्था त्यहाँ! सम्झौता र  सम्झना जहाँ हाँस्ने र नाँच्ने  मिठो पल त्यहाँ कसले के भन्ला  भन्ने डर छैन जहाँ सम्बन्ध अटुट  रिश राग छैन त्यहाँ एका अर्कामा केवल  त्रिशना जहाँ, भेटेपछि समय  रमनिय हुन्छ त्यहाँ! भुत भविष्य भुलिन्छ  केवल हाँसो छ जहाँ परिवारदेखि पनि  टाड़ा एकै क्षण त्यहाँ!

Darjeeling I Love you

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दार्जीलिङ I love you डार्लिङ I love you ठ्ण्डि हवावाे मे उढता फिरे वादियाे मे जगल झुके आशमा गाेर्खा फूलसुन्दर जहाँ [Chorus] कन्चनजङ्गा खिल-खिलनये मगन दार्जीलिङ I love you डार्लिङ I love you सुन्दर शहर मेरा प्यारा सहेर [Verse 2] चाय बाग़न हरियाली यहाँ की सुबह की ठण्डी धूप रोज़ नई कहानी मुस्कान बिखराए [Chorus] कन्चनजङ्गा खिल खिलाए मगन दार्जीलिङ I love you डार्लिङ I love you सुन्दर शहर मेरा प्यारा [Bridge] तुम हो सदा के हसीन मेरे दिल के करीब कोहरा और पहाड़ तुम्हारे बिना अधूरे

सावन

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मेहन्दी चमकति है पत्थर मे घिस जाने के बाद याद तेरी सताति सदा मेहन्दी हातो से मिट जाने के बाद सावन जरा आहिस्ता तेज वर्षात मे रूक गया फरिस्ता महेफिल तो जमी शानदार पर हर एक पल थी अधुरा ईन्तजार छत गिरा नदीयाँ वेहाल पानी की बुँदे तबदिल हुयी यादो मे ठहर गया दिल वादो मे चल हट! फिर मिलेगें अगली वर्षातो में😊😊😊

कफन

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रात की सन्नाटा घनघोर काली घटा पवन दौड़ती तापाड़ तुपुड़ वर्षात की वुंदे सुदुर रास्तो की यात्रा..उजाले एका एक दिवारो से लिप्टी छुपजाती कुत्तोकी स्वामी भक्ती प्रती ध्वनीत आवाज हवाकी झोकों से पथिक की चेहरा चुप के से उड़ाती कफन नग्न न वना क्रुर ना हो! पवन तेरी रफ्तार मे  जीवन चल्ती तो सन्नाटो मे जीवन ना दौड़ती मजवुरीयाँ छुपने दे पाप पापी पेट की सवाल थी सायद नहितो माँ है  बच्चेको क्यो सुलाती अथेरों मे क्यो रुलाती कहिँ कल की उजाला उसी को दिखाना है पवन तु क्रुर ना बन दरिद्री बादलको हटा हे.... सावन की घटा कफन की राज राज हि रख वस तु वेहती जा वादलो को वर्ष ने पे मजवुर ना कर..... सावन को परखने दे.. जीवनको उजालो में महेक ने दे..दिवारो सें लिपट ने दे..मजवुर आत्मा को लासों से गुजर ने दे..कफन ढका का ढका हि रहने दे ..रहने दे...

तृष्णा

मनका तृषणाले  तिमीलाई खोजी रहन्छ आँखाका नानीले तिमीलाईदेखि नै रहन्छ सावनका थोपा थोपाले तिमीलाई पछ्याई रहन्छ हरियाली पावलाहरूले तिमीलाई चियाई रहन्छ पिरथीको कशम खाएको सदा याद गराउने गर्छ माहाकाल डाड़ाको याद पटक पटक आई रहन्छ