मन की बात


आज सैन्यबल "सुखी- रोटी"के लिये बोल्ने लगे
पर ये गोर्खा बीर आज और तब भी  मौन थे!

अपनी भाषिक- राज्य की मागं  थी मौन  जुलुश
देश - शिमा मे "बहादुरी" मिली पर घर मे लाठी!

शान्ति के दुत बने ,देश बचाना दुष्मन का ढाल
पर अपने ही घर मे देशका शान का क्या है हाल?

देश के 'पास्व क्षेत्र या अन्य क्षेत्र' भाषा के आधार मे
 राज्य बना,या बनी युनियन टेरीटोरी मेरे देश मे ही!

बस एक ही ल्याण्ड छुट गया   यहाँ जिल्ला  बनकर 
यह हमारी पहचान है दार्जीलिङ पहाड़ ,सुन्दर रन-बन!

 सरकार समक्ष रखने यह सैनिक के मौन था जुलुस
पर ईनकी सम्मान पे पड़ी लाठी, दुःख लगता है मुलुक!

भारत के ईतिहास मे आज "गोर्खा- ह्याट" शिर्ष पे है
पर ये मेरे पापा के खुन, मुझे बोल्ने मजवुर करती है!

सेवानिवृत हो तो क्या हुवा छात्ती की तकमा रो रही है
 देश- शुरक्षा के लिये ये सदा ततपर है पर आज मौन हैं!

सटे राज्य है जिस से हमारी भाषा संस्कार मिल्ती है
पर राजनित ,क्या जाने हमारी भूगोल ईतिहास यह है!

यहाँ एक्स सरभिसम्यान की  जमिन  लुटी  जाती  है
कुछ मौन   जुलुसो मे भी  सरकारी  लाठी  पड़ती है!

अन्याय जरूर हुवा है सरकार!हमारी भी है अधिकार
मतभेद निती मे  नही है,मत भेद है तो  राजनित  मे!

सिक्कीम बन रही आज सुन्दर स्वास्थ्य हरा छोटा राज्य
दार्जीलिङको राजनित ने वनाया  है शितोष्ण मरूभुमी!

पापा ने बन्दुक चलाया    सिमाको    करने    मजबुत
पर माँ को रूलाया फिर भी मौन है राजनित मेनुफेष्टो!

Comments

Popular posts from this blog

बुबालाई पत्र

दुर्गा चालिसा

सत्य कथा/लघु कथा