वो भि क्या समय था!

Lilli lallu. Kallu
जमाना क्या था
 ब्ल्याक और वाईट 
माँ पापा का लाडला,
 जीवन सुन्हेरा था!
वड़ी थी चुलबुली
मझला था चालाक
छोटी थी शान्त!
पर जब बड़े हुवे तो
सम्हाला मोर्चा 
अपने अपने साथ 
एक वना व्यपारी
एक वनी पत्रकार
छोटी वनी गुरुवर
पर अभि भी छोटी का 
न सुन्ता कोही बात!
करती पते की है बात
पर सच वोल्ना व्यापारी को
नही भाता ,त्रुप का है उसका चाल
पत्रकार है वड़ी ही शियानी
निकाल लेता मनकी बात
गुरू विचारी क्या करती
सब जान के भी बनती अनजान
नही तो पोल खुलती
होने लगता बुरा हाल
माँ की वेलन की पड़ती मार
पापा सिखाते शान्त रहने की पाठ
क्या दुनिया थी वह
मिठाई चुराते खातै वैठ एकसाथ!

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