कुछ पल

कुछ पल 

तेरे बाहो मे
 यादो की गुलदस्ता
दे लौट गई।

वर्षो से खड़ी
धुप- छाँवो की कड़ी
फिसल गई।

  बेनाम रिस्ते
लक्ष्य विहिन राह
दौड़ती चाँद।

फिर भी हँसी
छाई यादो मे तेरी
तलाश जारी।

क्या नशिब है
तेरी मेरी संग की
दुरी पर है।

तुम्हारी साथ
की अहसास मुझे
है जैसा तुझे।

दोस्त हैं हम
दोस्ती हमारी सच
फासला भी है।

यह भी प्यार
कम नहि जहाँ है
त्याग चिन्तन।

फूलों की पत्ते
पिला झड़ते देखा
 बाँहो में तेरी।

बस युँ ही मैं
एक पल खामोश
तेरे यादो मे,,,,,,,

युँही भटक
गया था चाँदनी में
यादो की पल।

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