प्रणाम आमा
प्रणाम!
रेत मे तेरा नाम लिखा
हजारों बार मिटाया
पर वह मिट ना सका
यादो मे तुझे देखा
देखा हँसिन बँगिचो मे
मुरझाई तु फिर भी मिटा न सका
हर अदा तेरी खुस्नमा लगे
हर शब्द प्रशाद सा लगे
हर वक्त अमृत तप्के
आ मेरे गले लग जा
चुम लु तुझे दिल भरके
फिर ना जाना मुझे छोड़ के
एक एक पल गुजारी मैने
सब अधुरी थी बस कमी थी
तेरी आहट की दुरी थी!!
Comments
Post a Comment