I quit bye अलविदा
I quit bye अलविदा मेरे आँखों में ,,,मैने घर की काँच टुटते हुवे देख रही थी, कँही गर्मी में पंखाँ घुमना बन्द था वहाँ कोही लट्का हुवा देख रही थी, आँगन मे शवका गाड़ी गेन्दा,रजनीगन्धा , श्रद्धा और आँशुवों से सज रही थी, जिज्ञासा पोसमाटम आखिर हुवा क्या था? भावनावों की खोज चल रही थी, बेटा - बेटीयों का प्यार अपनो की स्नेह और चिन्ता और मेरे लिये यह पल परिक्षा थी, रात भर निन्दँ उड़ गई करवटे लेने लगि कुछ और पल मैं यह हरकत से बस रूठने लगी! पर न जनाजा निक्ला नाहि कुछ , केवल दौड़ भाग और ना हि वो केवल हादसा थी! बस पुराना फोटो को हटा के अल विदा और नयाँ को स्वागत बेकार की चिन्ता को अलविदा थी। घर मे खिचड़ी नहि पका पर मन मे अन्तिम विदाई की खिचड़ी जरूर पक रही थी, बस ऐसाहि ईन्सान दोस्त से जीवन गुजार रही हुँ जो अपने हि जिवन मे गुमसुमसा है।